चार परियों की कहानी

एक बार की बात है, एक जंगल में चार परियां रहती थीं। उनकी नामें थीं:

  • सुमन, जो फूलों की परी थी।
  • पुष्पा, जो पेड़ों की परी थी।
  • जलपरी, जो नदियों की परी थी।
  • पवनपरी, जो हवाओं की परी थी।

ये चारों परियां बहुत ही घनिष्ठ मित्र थीं। वे हमेशा एक साथ खेलती थीं, हंसती थीं, और एक-दूसरे की मदद करती थीं।

एक दिन, चारों परियां जंगल में खेल रही थीं। तभी, उन्हें एक छोटा बच्चा रोते हुए मिला। बच्चा बहुत ही भूखा और थका हुआ था।

परी सुमन ने कहा, “चलो, हम इस बच्चे की मदद करें।”

बाकी परियां भी सुमन के साथ सहमत हो गईं। उन्होंने बच्चे को अपने पास बुलाया और उसे खाना और पानी दिया। फिर, उन्होंने बच्चे को अपनी मां को खोजने में मदद की।

बच्चे की मां बहुत खुश हुई। उसने परियों को धन्यवाद दिया और कहा, “तुमने मेरी बेटी की जान बचाई है। मैं तुम्हारा हमेशा आभारी रहूंगी।”

परियां बहुत खुश हुईं कि उन्होंने बच्चे की मदद कर सकी हैं। उन्होंने कहा, “हम हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार हैं।”

इसके बाद, चारों परियां अक्सर जरूरतमंद लोगों की मदद करने लगीं। वे भूखे लोगों को खाना खिलाती थीं, प्यासे लोगों को पानी पिलाती थीं, बीमार लोगों को ठीक करती थीं, और जरूरतमंद लोगों की रक्षा करती थीं।

परियों की मदद से, जंगल में खुशहाली छा गई। सभी जानवर और लोग परियों का बहुत सम्मान करते थे।

एक दिन, एक बुरी जादूगर ने जंगल पर हमला कर दिया। उसने जंगल के सभी जानवरों और लोगों को कैद कर लिया।

परियां बहुत दुखी हुईं। उन्होंने बुरी जादूगर से लड़ने का फैसला किया।

परी सुमन ने बुरी जादूगर को फूलों की जादुई शक्ति से मारा। परी पुष्पा ने बुरी जादूगर को पेड़ों की जादुई शक्ति से बांध दिया। परी जलपरी ने बुरी जादूगर को नदियों की जादुई शक्ति से डुबो दिया। और परी पवनपरी ने बुरी जादूगर को हवाओं की जादुई शक्ति से उड़ा दिया।

बुरी जादूगर को हराकर, परियों ने जंगल को बचा लिया। सभी जानवर और लोग परियों का बहुत आभारी थे।

परियां जंगल की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहती थीं। वे हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए भी तैयार रहती थीं।

शिक्षा:

  • हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए।
  • बुराई से लड़ने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए।
  • हम अपनी शक्तियों का उपयोग अच्छे के लिए करना चाहिए।