चिड़िया का घोंसला और माली की दया

Photography of Small Blue and Brown Bird

गाँव के किनारे पर एक पुराना बरगद का पेड़ खड़ा था. उसकी छांव में छोटे-छोटे चिड़ियों का झुंड अक्सर चहकता रहता. पेड़ की एक मोटी डाल पर उन्होंने अपना एक प्यारा सा घोंसला बनाया था. घोंसले में तीन छोटे-छोटे चूजे थे, जो अपनी माँ के इंतजार में चहचहाते रहते.

गाँव में रामू नाम का एक दयालु माली रहता था. वह बरगद के पेड़ की देखभाल करता था और पेड़ों से बहुत प्यार करता था. एक दिन सुबह रामू पेड़ की सिंचाई कर रहा था, तभी उसने देखा कि एक बड़ा सा सांप धीरे-धीरे पेड़ पर चढ़ रहा है. सांप घोंसले की तरफ बढ़ रहा था, रामू के रोंगटे खड़े हो गए.

बिना समय गंवाए रामू ने एक मोटी सी डाली उठाई और सांप पर फेंक दी. डाली लगने से सांप गुस्से में फुफकारता हुआ नीचे चला गया. रामू ने पेड़ तलाश किया, लेकिन सांप कहीं नहीं दिखा. उसे डर था कि कहीं सांप वापस आकर चूजों को नुकसान न पहुंचाए.

सोचता हुआ रामू घोंसले के पास गया और ध्यान से देखा. घोंसले में चूजे डर से कांप रहे थे. रामू को अफसोस हुआ कि उसने सांप को मारने की कोशिश की, जिससे चूजे डर गए. उसने धीरे से घोंसले को सहलाया और चूजों को आश्वासन दिया.

रामू ने फैसला किया कि वह पेड़ की सुरक्षा करेगा. उसने पेड़ के आस-पास कांटेदार झाड़ियां लगा दीं, जिससे सांप या अन्य शिकारी पेड़ पर न चढ़ सकें. साथ ही, उसने चूजों के लिए छोटे-छोटे कीड़े रख दिए, ताकि उनकी माँ के वापस आने तक उन्हें भूख न लगे.

हर रोज रामू पेड़ की देखभाल करता और चूजों पर नजर रखता. धीरे-धीरे चूजे बड़े होने लगे और उनके पंख निकल आए. एक दिन रामू ने देखा कि चूजे घोंसले से बाहर आ रहे हैं और उड़ान भरने की कोशिश कर रहे हैं. उसकी आँखों में खुशी के आंसू आ गए.

कुछ दिनों बाद चूजे बिल्कुल बड़े हो गए और वे आसमान में उड़ते हुए रामू को देखकर चहचहाते हुए धन्यवाद करते नजर आए. रामू को समझ में आया कि उसकी दया और त्याग ने न सिर्फ चूजों की जान बचाई, बल्कि उन्हें उड़ना भी सिखाया.

यह कहानी हमें बताती है कि दयालुता और त्याग से हम न सिर्फ दूसरों की मदद कर सकते हैं, बल्कि उनकी जिंदगी भी बदल सकते हैं. रामू की दया ने न सिर्फ चूजों की रक्षा की, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने का भी मौका दिया. हमें भी रामू से सीखना चाहिए और अपनी दयालुता से दूसरों के जीवन में खुशियां लाने का प्रयास करना चाहिए.