एक जंगल में छोटी सी चिड़िया रहती थी, जिसका नाम चिंकी था. चिंकी बड़ी मेहनती थी, सुबह से शाम दाना चुगती, अपना घोंसला बनाती. एक दिन आसमान में काले बादल छा गए, तूफान आने का आभास हुआ. चिड़िया घबरा गई, उसके घोंसले में छोटे-छोटे बच्चे थे, जो बरसात में भीग जाते.
उसी जंगल में एक बूढ़ा बादल रहता था, जो आसमान में घूमता रहता था. वह सब कुछ देखता-समझता था. उसने चिंकी की चिंता देखी और धीरे से पास आया. चिंकी ने बूढ़े बादल को देखकर कहा, “बाबा, तूफान आ रहा है, मेरे बच्चे भीग जाएंगे. क्या उनकी मदद कर सकते हो?”
बूढ़ा बादल मुस्कुराया और बोला, “चिंकी, तुम छोटी हो, पर तुम्हारे दिल में बड़ी दया है. तुमने कभी किसी को दुख नहीं दिया, इसलिए मैं तुम्हारी मदद करूंगा.” उसने अपना रूप बदला और एक बड़े पत्ते का आकार ले लिया. वह चिंकी के घोंसले के ऊपर जाकर उसे ढक लिया, जैसे एक छतरी हो.
तूफान आया, हवा जोर से चली, बारिश की झड़ी लगी. चिंकी के बच्चे घोंसले के अंदर सुरक्षित थे. बूढ़ा बादल हिलता नहीं था, वह चिंकी के घोंसले की रक्षा करता रहा. बारिश थमने के बाद, सूरज निकल आया. चिंकी ने बूढ़े बादल को धन्यवाद दिया, “बाबा, तुमने मेरा जीवन बचा लिया.”
बूढ़ा बादल बोला, “चिंकी, दयालुता का फल हमेशा मीठा होता है. तुमने किसी को दुख नहीं दिया, इसलिए मैंने तुम्हारी मदद की. याद रखो, जो दूसरों की खुशी में खुश होता है, उसे कभी दुख नहीं छूता.”
चिंकी ने बूढ़े बादल की बातें सीख लीं. वह पहले से भी ज्यादा दयालु बन गई, हर छोटे जीव की मदद करती थी. जंगल में सब चिंकी को प्यार करते थे, क्योंकि वह सभी के लिए खुशियां बांटती थी.
ये कहानी है दयालुता की, जो किसी जादू से कम नहीं है. दयालु बनो, दूसरों की मदद करो, और देखो कैसे खुशियां आपके जीवन में बरसती हैं.