पत्थर का दिल और पत्तों का सम्मान

Snow-top Mountain Under Clear Sky

पहाड़ों की गोद में बसे एक छोटे से गांव में रहती थी लक्ष्मी, जिसकी उम्र बस बारह बरस थी. वह हर सुबह जल्दी उठकर बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती और फिर बूढ़े पंडितजी के पास पढ़ने जाती. लक्ष्मी को पेड़ों से बहुत लगाव था. वह उन्हें अपने दोस्त मानती थी. वह बरगद के पेड़ को पानी देती, उसके नीचे झाड़ू लगाती और उसकी जड़ों को सहलाती.

एक दिन गांव में राजा का दीवान आया. उसने देखा कि लक्ष्मी बरगद के पेड़ की पूजा कर रही है. उसे गुस्सा आया और उसने लक्ष्मी को फटकारा, “तू इस पत्थर की मूर्ति की क्या पूजा कर रही है? इसकी तो जान भी नहीं है!”

लक्ष्मी ने डरते हुए कहा, “यह पत्थर नहीं, दीवानजी, यह बरगद का पेड़ है. ये हमें हवा देता है, छाया देता है, फल देता है. इसकी पूजा करके हम उसे सम्मान देते हैं.”

दीवानजी हंस पड़ा. उसने कहा, “सम्मान पत्थर की मूर्तियों को दिया जाता है, पेड़ों को नहीं. ये तो बेजान हैं!”

लक्ष्मी ने कहा, “जीवन तो हर चीज में होता है, दीवानजी. पेड़ हमें जीवन देते हैं, पक्षियों को घर देते हैं. उनकी जड़ों में मिट्टी को बचाते हैं और नदियों को खींचते हैं. उनका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है.”

दीवानजी को लक्ष्मी की बातों में सच्चाई दिखी. उसने उसे आशीर्वाद दिया और आगे बढ़ गया. लक्ष्मी ने फिर से बरगद के पेड़ को प्रणाम किया और उसकी पत्तियों को सहलाया.

कुछ दिनों बाद गांव में सूखा पड़ गया. नदियां सूख गईं, फसलें जल गईं. गांव के लोग परेशान हो गए. तभी लक्ष्मी ने बरगद के पेड़ के नीचे एक कुआं खोदने का सुझाव दिया. लोगों ने पहले तो हंसी उड़ाई, लेकिन लक्ष्मी इतनी दृढ़ थी कि उन्होंने मंदिर से कुल्हाड़ी लाकर पेड़ के नीचे खुदाई शुरू कर दी.

कुछ ही फावड़ों की गहराई में पानी मिल गया. पूरा गांव खुशी से झूम उठा. बरगद का पेड़, जिसे उन्होंने कभी बेजान समझा था, अब उनकी जान बचा रहा था.

उस दिन से गांव के लोगों ने पेड़ों के प्रति अपनी सोच बदल ली. उन्होंने लक्ष्मी को ‘पेड़ों की रानी’ कहना शुरू कर दिया. लक्ष्मी ने उन्हें पेड़ों की देखभाल करना, उनका सम्मान करना सिखाया. वह कहती थी, “पेड़ हमारे मित्र हैं, हमें उनकी रक्षा करनी चाहिए.”

इस तरह, लक्ष्मी ने गांव को न सिर्फ सूखे से बचाया, बल्कि उन्हें जीवन के एक महत्वपूर्ण सबक भी दिया – हर चीज का सम्मान करना, चाहे वह पत्थर हो, पेड़ हो या कोई जीव हो.

नैतिकता: इस कहानी से पता चलता है कि हर चीज का सम्मान करना चाहिए, चाहे वह कितनी ही छोटी क्यों न लगे. पेड़ हमें जीवन देते हैं, उनकी जड़ों में मिट्टी को बचाते हैं और नदियों को खींचते हैं. उनका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है.