सच्चा सुख प्रकृति के साथ रहने में

एक बार की बात है, एक विशालकाय महल में, एक नन्हा राजकुमार रहता था। राजकुमार के पास सब कुछ था, सोने का सिंहासन, चांदी के बर्तन, हीरे-जवाहरात, और खिलौनों का ढेर। लेकिन वह राजकुमार खुश नहीं था। उसे महल के चारों ओर ऊंची दीवारें और बंद दरवाजे पसंद नहीं थे। वह खुले आसमान, हरी-भरी धरती, और बहते हुए झरनों को देखना चाहता था।

एक दिन, राजकुमार ने महल से भागने का फैसला किया। जब सभी सो रहे थे, वह चुपचाप महल से बाहर निकल गया और जंगल की ओर चलने लगा। जंगल में, राजकुमार ने कई अद्भुत चीजें देखीं। उसने ऊंचे पेड़ों, रंगीन फूलों, और विभिन्न प्रकार के जानवरों को देखा। उसने एक नदी में तैराकी की और एक झरने के नीचे नहाया।

राजकुमार जंगल में घूमते हुए एक बुद्धिमान बूढ़े ऋषि से मिला। ऋषि ने राजकुमार को जीवन के कई सच सिखाए। ऋषि ने बताया कि सरलता में ही असली सुख होता है। महल में मिलने वाली सभी भौतिक चीजें क्षणिक हैं, और वे कभी भी सच्चा सुख नहीं दे सकती हैं। सच्चा सुख प्रकृति के साथ रहने और जीवन के छोटे-छोटे क्षणों का आनंद लेने में होता है।

राजकुमार ने ऋषि की बातों को समझा और अपना जीवन बदलने का फैसला किया। उसने महल में वापस जाने का फैसला किया और अपनी प्रजा के लिए एक अच्छा राजा बनने का वादा किया।

राजकुमार महल में वापस आया और एक न्यायप्रिय और दयालु राजा बन गया। उसने अपने लोगों के लिए कई अच्छे काम किए और उन्हें खुशहाल जीवन प्रदान किया। राजकुमार ने जंगल में ऋषि से सीखे गए सबक को कभी नहीं भूला। वह हमेशा सरल जीवन जीता रहा और प्रकृति के साथ रहने का आनंद लेता रहा।

नैतिकता: सरलता में ही असली सुख होता है। भौतिक चीजें क्षणिक हैं, और वे कभी भी सच्चा सुख नहीं दे सकती हैं। सच्चा सुख प्रकृति के साथ रहने और जीवन के छोटे-छोटे क्षणों का आनंद लेने में होता है।