एक बार की बात है, एक छोटा सा बच्चा अपने परिवार के साथ जंगल में घूमने गया था। वह बच्चा बहुत शरारती था और जंगल में इधर-उधर भागता-फिरता रहता था। एक बार वह अपने परिवार से बिछड़ गया और जंगल में खो गया।
बच्चा बहुत रोया-चिल्लाया, लेकिन उसकी आवाज किसी तक नहीं पहुंची। वह अकेला और डरा हुआ था। उसे भूख और प्यास भी लग रही थी।
उसी समय, जंगल में रहने वाले जानवरों ने उसे देखा। वे सभी दयालु थे और उन्होंने बच्चे की मदद करने का फैसला किया।
एक बुद्धिमान लोमड़ी ने कहा, “हम सभी मिलकर उसे घर पहुंचाएंगे।”
एक मजबूत भालू ने कहा, “मैं उसे अपनी पीठ पर बैठाऊंगा और उसे घर तक ले जाऊंगा।”
एक तेजस्वी मोर ने कहा, “मैं उसे रास्ता दिखाऊंगा।”
और एक मीठी आवाज वाली कोयल ने कहा, “मैं उसे गाकर खुश रखूंगी।”
जानवरों ने मिलकर बच्चे को घर पहुंचाने के लिए एक योजना बनाई। लोमड़ी ने बच्चे को अपनी पीठ पर बैठाया और भालू ने उसे आगे ले जाने लगा। मोर ने रास्ता दिखाना शुरू किया और कोयल ने उसके लिए गाना गाना शुरू किया।
बच्चा जानवरों के साथ खुश था। उसने उन्हें कहा, “तुम बहुत दयालु हो। तुमने मेरी बहुत मदद की है।”
जानवरों ने कहा, “यह हमारा फर्ज है। हम सभी प्रकृति के बच्चे हैं और हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।”
कुछ देर बाद, जानवर बच्चे को उसके घर तक ले आए। बच्चे के माता-पिता उसे देखकर बहुत खुश हुए। उन्होंने जानवरों को धन्यवाद दिया और उन्हें एक अच्छा भोजन खिलाया।
बच्चा भी जानवरों के प्रति दयालु हो गया। उसने उनसे कहा, “मैं हमेशा प्रकृति और जीवों के प्रति दयालु रहूंगा।”
नैतिकता: प्रकृति और जीवों के प्रति दयाभाव का महत्व है। हमें सभी जीवों का सम्मान करना चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए।