एक बार की बात है, एक राज्य में एक बहुत ही दयालु रानी रहती थी। वह अपने राज्य के लोगों से बहुत प्यार करती थी और उनकी खुशहाली के लिए हमेशा तत्पर रहती थी।
एक दिन, राज्य में एक भयानक बीमारी फैल गई। देखते ही देखते, राज्य के कई लोग बीमार हो गए और उनकी मृत्यु हो गई। रानी बहुत चिंतित हो गई। वह अपने राज्य के लोगों को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी।
रानी ने अपने दरबारियों को बुलाया और उनसे बीमारी के बारे में पूछा। दरबारियों ने बताया कि यह बीमारी बहुत ही खतरनाक है और इसका कोई इलाज नहीं है।
रानी ने सोचा कि अगर वह खुद को बीमारी से संक्रमित कर लेती है, तो शायद वह बीमारी का इलाज खोज सकती है। इसलिए, उसने अपने राज्य के लोगों के लिए खुद को कुर्बान करने का फैसला किया।
रानी ने अपने दरबारियों को बुलाया और उन्हें अपना फैसला बताया। दरबारी बहुत दुखी हुए, लेकिन उन्होंने रानी के निर्णय का सम्मान किया।
रानी ने एक मंदिर में जाकर भगवान से प्रार्थना की। उसने भगवान से अपने राज्य के लोगों को बचाने के लिए कहा।
प्रार्थना के बाद, रानी ने अपने कपड़े उतार दिए और बीमारी से संक्रमित लोगों के बीच चली गई। वह उन लोगों की सेवा करती रही और उनका ध्यान रखती रही।
कुछ दिनों बाद, रानी भी बीमार हो गई। वह बहुत कमजोर हो गई और उसे बिस्तर पर पड़े रहना पड़ा। लेकिन वह अपने राज्य के लोगों के लिए चिंतित थी।
रानी ने अपने दरबारियों को बुलाया और उन्हें अपने राज्य के लोगों की देखभाल करने के लिए कहा। उसने उन्हें यह भी कहा कि वह उन्हें हमेशा याद रखेगी।
कुछ दिनों बाद, रानी की मृत्यु हो गई। राज्य के लोग बहुत दुखी हुए। उन्होंने रानी को एक वीर योद्धा के रूप में याद किया।
रानी के बलिदान के कारण, बीमारी का इलाज खोजा जा सका। राज्य के लोग फिर से खुशहाल हो गए।
नैतिकता: त्याग और लोकहित के लिए जीवन का बलिदान देना महानतम कार्य है।