एक बार की बात है, एक गरीब लड़की थी जिसका नाम सिंड्रेला था। उसकी मां मर गई थी, और उसके पिता ने एक नई पत्नी और उसकी दो बेटियों से शादी की थी। सिंड्रेला की सौतेली माँ और उसकी सौतेली बहनें बहुत बुरी थीं। उन्होंने सिंड्रेला को एक सेवक की तरह व्यवहार किया।
एक दिन, राजकुमार की एक रानी खोजने के लिए एक महल में एक भव्य गेम आयोजित करने का फैसला किया। सभी देश की सुंदर लड़कियों को आमंत्रित किया गया था। सिंड्रेला भी गेम में जाने के लिए उत्सुक थी, लेकिन उसकी सौतेली माँ और बहनें उसे जाने नहीं देना चाहती थीं।
लेकिन सिंड्रेला की परी कथा दादी ने उसकी मदद की। उसने एक जादूई जादू का इस्तेमाल करके सिंड्रेला के लिए एक सुंदर गाउन, एक जोड़ी चप्पल और एक घोड़ा और गाड़ी तैयार की।
गेम में, राजकुमार तुरंत सिंड्रेला से प्यार कर बैठा। उन्होंने एक साथ नाच किया, और उन्होंने एक-दूसरे से बहुत बात की।
लेकिन रात 12 बजे, जादू समाप्त हो गया। सिंड्रेला ने अपने जूते को राजकुमार को दिया और कहा कि वह उसे फिर से कभी नहीं मिल पाएगी।
राजकुमार ने जूते को अपने पास रखा और फैसला किया कि वह वह लड़की ढूंढेगा जो उस पर फिट हो।
वह पूरे देश में गया, लेकिन वह लड़की नहीं ढूंढ पाया। अंत में, उसने सिंड्रेला के घर का दौरा किया।
उसने अपने जूते को सिंड्रेला की सौतेली बहनों के पास रखे। जूते उनमें से किसी एक पर फिट नहीं हुए।
फिर उसने सिंड्रेला को जूते दिए। जूते उस पर बिल्कुल फिट थे।
राजकुमार और सिंड्रेला ने शादी कर ली और एक साथ खुशी-खुशी रहने लगे।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अच्छाई हमेशा जीतती है। सिंड्रेला एक दयालु और दयालु लड़की थी, और वह अंत में अपनी सुखद अंत पा ली।