एक बार की बात है, एक गाँव के पास एक नदी बहती थी। नदी बहुत ही स्वच्छ और निर्मल थी। नदी के किनारे पेड़-पौधे और जानवर रहते थे। सभी लोग नदी से बहुत प्यार करते थे।
एक दिन, एक कारखाना गाँव के पास खुल गया। कारखाने से निकलने वाला कचरा नदी में बहने लगा। नदी का पानी दूषित हो गया। नदी के किनारे रहने वाले पेड़-पौधे सूखने लगे। जानवर भी नदी के पास नहीं आने लगे।
नदी बहुत बीमार हो गई। वह अपनी सुंदरता खो बैठी। लोग भी नदी से दूर रहने लगे।
गाँव के बच्चों को नदी की हालत देखकर बहुत दुख हुआ। उन्होंने फैसला किया कि वे नदी को स्वस्थ करने में मदद करेंगे।
बच्चों ने एक अभियान चलाया। उन्होंने लोगों को नदी को प्रदूषित करने से रोकने के लिए कहा। उन्होंने लोगों को नदी को साफ रखने के लिए भी कहा।
बच्चों के प्रयासों से लोगों को नदी की अहमियत समझ में आई। उन्होंने नदी को प्रदूषित करना बंद कर दिया। उन्होंने नदी को साफ करने में भी मदद की।
कुछ ही समय में, नदी स्वस्थ हो गई। उसका पानी फिर से साफ और निर्मल हो गया। पेड़-पौधे फिर से खिलने लगे। जानवर भी नदी के पास आने लगे।
गाँव के लोग बहुत खुश हुए। उन्होंने बच्चों की बहुत प्रशंसा की।
नैतिकता:
- पर्यावरण को स्वस्थ रखना हमारी जिम्मेदारी है।
- हमें प्रदूषण फैलाने से बचना चाहिए।
- हमें पर्यावरण को साफ रखने में मदद करनी चाहिए।
नदी की खुशी
नदी भी बच्चों की मदद के लिए बहुत खुश थी। उसने बच्चों को कहा, “तुमने मेरी जान बचाई है। मैं हमेशा तुम्हारा आभारी रहूंगी।”
बच्चे नदी की खुशी देखकर बहुत खुश हुए। उन्हें पता था कि उन्होंने सही काम किया है।
यह कहानी हमें सिखाती है कि पर्यावरण को स्वस्थ रखना हमारी जिम्मेदारी है। हमें प्रदूषण फैलाने से बचना चाहिए और पर्यावरण को साफ रखने में मदद करनी चाहिए।