पहला अध्याय
एक बार की बात है, ‘पटना’ नामक शहर में ‘श्याम’ नामक एक व्यापारी रहता था। श्याम अपनी दुकान में विभिन्न प्रकार के सामान बेचता था। वह हमेशा अपने ग्राहकों के साथ अच्छा व्यवहार करता था और उन्हें उचित मूल्य पर सामान देता था।
एक दिन, श्याम के पास एक ग्राहक आया जो कुछ कपड़े खरीदना चाहता था। श्याम ने ग्राहक को कपड़े दिखाए और उसे उचित मूल्य पर बेचा। ग्राहक कपड़े खरीदकर खुश होकर घर चला गया।
दूसरा अध्याय
अगले दिन, वही ग्राहक श्याम की दुकान पर वापस आया। उसने श्याम से कहा कि उसने जो कपड़े खरीदे थे, वे बहुत अच्छे थे और उसने उन्हें अपने दोस्तों को दिखाया था। ग्राहक के दोस्त भी कपड़े खरीदने के लिए श्याम की दुकान पर आए।
धीरे-धीरे, श्याम की दुकान में ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी। लोग श्याम की ईमानदारी और उचित मूल्य के लिए उसकी दुकान पर आने लगे।
तीसरा अध्याय
एक दिन, श्याम के पास एक नया ग्राहक आया। ग्राहक ने श्याम से कुछ सामान खरीदा और उसे पैसे दिए। जब श्याम ने पैसे गिने तो उसे पता चला कि ग्राहक ने उसे एक रुपये ज्यादा दे दिए थे।
श्याम ने ग्राहक को वापस बुलाया और उसे एक रुपये वापस दे दिए। ग्राहक श्याम की ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुआ। उसने श्याम को बताया कि वह अब हमेशा उसी की दुकान से सामान खरीदेगा।
चौथा अध्याय
श्याम की ईमानदारी और उचित मूल्य के कारण उसकी दुकान बहुत सफल हो गई। श्याम ने बहुत पैसा कमाया और वह एक अमीर व्यापारी बन गया।
सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दीर्घकालिक सफलता के लिए ईमानदारी बहुत जरूरी है। यदि हम ईमानदारी से व्यवहार करेंगे तो लोग हम पर भरोसा करेंगे और हमारे साथ व्यापार करेंगे। ईमानदारी से हमें सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।
अंतिम शब्द
श्याम एक ऐसा व्यापारी था जो नुकसान उठाकर भी नाप-तौल में ईमानदारी बरतता था। उसकी ईमानदारी के कारण वह बहुत सफल हुआ। हमें श्याम से सीख लेनी चाहिए और हमेशा ईमानदारी से व्यवहार करना चाहिए।