अमित एक गरीब परिवार का होनहार छात्र था। वह मेहनती था और अपनी पढ़ाई में जी-जान लगा देता था। परीक्षाएं नजदीक आ रही थीं और अमित ने पूरी लगन से तैयारी शुरू कर दी। रात-दिन पढ़ाई, नोट्स बनाना, और पुराने प्रश्नपत्रों को हल करना, यही उसका दिनचर्या बन गया था।
परीक्षा के दिन, अमित थोड़ा घबराया हुआ था, लेकिन आत्मविश्वास से भी भरा था। परीक्षा हॉल में बैठकर, उसने देखा कि उसके आसपास के छात्र नकल करने की योजना बना रहे थे। कुछ किताबें छुपा रहे थे, तो कुछ मोबाइल फोन। अमित को भी नकल करने का प्रलोभन हुआ, लेकिन उसने तुरंत इसे दूर कर दिया।
उसने सोचा, “नकल करके मैं क्या हासिल करूंगा? सिर्फ एक फर्जी डिग्री? मैं कभी भी सच्चा ज्ञान प्राप्त नहीं कर पाऊंगा।”
उसने अपनी पूरी एकाग्रता परीक्षा पर केंद्रित कर दी। उसने हर प्रश्न को ध्यान से पढ़ा और उत्तर लिखने से पहले अच्छी तरह सोचा। परीक्षा खत्म होने के बाद, अमित को थोड़ी चिंता थी, क्योंकि उसे पता था कि उसने कुछ प्रश्न नहीं छोड़े थे।
लेकिन, वह जानता था कि उसने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। परिणाम आने पर, अमित को 90% अंक मिले। वह बहुत खुश था। उसने नकल करने की बजाय ईमानदारी का रास्ता चुना था और सफलता प्राप्त की थी।
अमित की कहानी हमें सिखाती है कि ईमानदारी का रास्ता कठिन, लेकिन सम्मानजनक होता है। नकल करके हम कभी भी सच्चा ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते। ईमानदारी से मेहनत करने से हमेशा सफलता मिलती है।
नैतिकता:
- नकल करना एक गलत काम है। इससे हम सिर्फ एक फर्जी डिग्री प्राप्त करते हैं, सच्चा ज्ञान नहीं।
- ईमानदारी का रास्ता कठिन, लेकिन सम्मानजनक होता है।
- ईमानदारी से मेहनत करने से हमेशा सफलता मिलती है।