मूक प्यार की गूंज
गाँव के बाहरी छोर पर एक छोटा-सा झोंपड़ा था, जहाँ मोहन अपनी बहन, गुड़िया के साथ रहता था. मोहन बोल नहीं सकता था, पर उसकी आँखों में एक गहरी समझ छिपी होती. गुड़िया उसकी आवाज़ थी, उसके हाथ, उसके पैर. वो दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे थे. एक दिन, गाँव में मेला लगा. बच्चे हँसते-खेलते […]