PM Vishwakarma Yojana: शिल्पकारों के सपनों को उड़ान देने का सरकारी प्रयास

PM Vishwakarma Yojana: शिल्पकारों के सपनों को उड़ान देने का सरकारी प्रयास

भारत की समृद्ध संस्कृति में पारंपरिक शिल्पकारों का योगदान अमूल्य है। उनकी कुशल कला और मेहनत ने पीढ़ियों से कलात्मक कृतियों को जन्म दिया है, जो हमारी विरासत का अभिन्न अंग हैं। परन्तु, आधुनिकीकरण के दौर में इन पारंपरिक शिल्पकारों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसीलिए, भारत सरकार ने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना (PM Vishwakarma Yojana) की शुरुआत की है, जो इन कारीगरों के जीवन में खुशहाली लाने और उनके हुनर को नया मुकाम दिलाने का प्रयास है।

योजना का उद्देश्य:

  • पारंपरिक शिल्पकारों के कौशल का विकास और उन्नयन करना।
  • उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करके स्वरोजगार को बढ़ावा देना।
  • आधुनिक तकनीकों और बाजार के रुझानों से अवगत कराना।
  • पारंपरिक शिल्पों को संरक्षित और प्रोत्साहित करना।

योजना के लाभ:

  • कौशल प्रशिक्षण: योजना के तहत शिल्पकारों को उनके पारंपरिक शिल्प में निःशुल्क कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। यह प्रशिक्षण पांच से सात दिनों के बुनियादी प्रशिक्षण और उसके बाद 15 दिनों या उससे अधिक के उन्नत प्रशिक्षण के रूप में होगा।
  • वजीफा: प्रशिक्षण के दौरान शिल्पकारों को प्रतिदिन 500 रुपये का वजीफा दिया जाएगा, ताकि वे अपना ध्यान पूरी तरह से प्रशिक्षण पर लगा सकें।
  • टूलकिट अनुदान: प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, शिल्पकारों को उनके काम के लिए आवश्यक औजारों का एक टूलकिट 15,000 रुपये तक के अनुदान पर दिया जाएगा।
  • ऋण सुविधा: योजना के तहत शिल्पकारों को बिना गारंटी के 3 लाख रुपये तक का कोलैटरल-फ्री लोन मिल सकता है। इस लोन की ब्याज दर भी मात्र 5% प्रति वर्ष है, जो इसे काफी किफायती बनाता है।
  • बाजार सहायता: योजना शिल्पकारों को उनके उत्पादों के लिए बाजार तक पहुंच बनाने में भी सहायता प्रदान करेगी। सरकार विभिन्न कार्यक्रमों और प्रदर्शनियों के माध्यम से उनके उत्पादों को बढ़ावा देगी।
  • प्रमाणपत्र और पहचान: योजना के तहत पंजीकृत शिल्पकारों को एक पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और आईडी कार्ड भी प्रदान किया जाएगा। यह प्रमाणपत्र उनके हुनर की मान्यता का प्रतीक होगा और उन्हें बाजार में अलग पहचान देगा।

पात्रता:

  • 18 से 50 वर्ष की आयु के भारतीय नागरिक।
  • योजना में शामिल 18 पारंपरिक शिल्पों में से किसी एक में पारंपरिक कौशल होना (जैसे- बढ़ई, लोहार, नाई, चर्मकार, सुनार, मूर्तिकार, आदि)।
  • योजना में शामिल 140 जातियों में से किसी एक जाति से संबंधित होना।
  • मान्यता प्राप्त संस्थान से संबंधित ट्रेड में प्रमाण पत्र होना।

आवेदन प्रक्रिया:

योजना के तहत आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन है। इच्छुक शिल्पकार योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपना पंजीकरण कर सकते हैं। पंजीकरण के बाद, उन्हें प्रशिक्षण केंद्रों के बारे में सूचित किया जाएगा और वे अपने लिए उपयुक्त केंद्र का चयन कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना भारत के पारंपरिक शिल्पकारों के लिए एक उम्मीद की किरण है। यह योजना न केवल उनके कौशल का विकास करेगी, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनके शिल्प को जीवित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।