Short Story for kids in Hindi | ईमान की गूंज

short story for kids in hindi

गांव के नन्हे से बाजार में लक्ष्मी की दुकान थी. वहां मिलती थीं रंग-बिरंगी मिट्टी की मूर्तियां, जिनमें लक्ष्मी की कला सांस लेती थी. एक दिन बड़े शहर से आए ठाकुर साहब लक्ष्मी की दुकान पर रुके. उनकी नज़र पड़ी एक खूबसूरत कृष्ण की मूर्ति पर. मूर्ति में विष्णु की मुस्कान ऐसी थी, मानो बोल रही हो. ठाकुर साहब ने पूछा, “बेटी, ये कितने की है?”

लक्ष्मी ने कहा, “पचास रुपये.”

ठाकुर साहब ने हंसते हुए कहा, “नहीं, ज्यादा दो, सौ दे दूंगा. इतनी खूबसूरत मूर्ति तो बेशकीमत है!”

लक्ष्मी ने थोड़ा हिचकते हुए कहा, “नहीं ठाकुर साहब, मेरे पिताजी ने सिखाया है ईमान की कीमत लगाना नहीं होता. पचास रुपये ही सही.”

ठाकुर साहब दंग रह गए. उन्होंने मूर्ति खरीदी और लक्ष्मी की ईमानदारी की तारीफ करते हुए चले गए.

कुछ दिन बाद बड़े शहर से एक अखबार आया. उसमें छपा था लक्ष्मी की दुकान की फोटो और उसके ईमानदारी के किस्से. अखबार पढ़ते ही गांव भर में धूम मच गई. अब हर कोई लक्ष्मी की मूर्ति लेने आने लगा.

पहले दुकान में सन्नाटा रहता था, अब दिन भर चहल-पहल. लक्ष्मी की मेहनत तो पहले भी थी, पर अब उसमें ईमानदारी का चमकदार तेल मिला था. वह दिन-रात मूर्तियां बनाती, हर एक में ईमानदारी का भाव भरती.

कुछ सालों बाद लक्ष्मी का एक बड़ा स्टूडियो हो गया. उसके हाथों से निकली मूर्तियों ने दुनियाभर में जगह बना ली. पर एक बात नहीं बदली, लक्ष्मी की ईमानदारी. वह आज भी उसी सादगी से रहती थी, उसी ईमानदारी से काम करती थी.

लक्ष्मी की कहानी गांव में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में गूंजती थी. उसने बताया कि ईमानदारी कोई छोटा सिक्का नहीं, बल्कि ऐसा खजाना है जो जीवन को रोशन कर देता है. ये कहानी है सच्चाई की, जो हर रास्ते को आसान बना देती है, और जिंदगी को एक सुनहरी प्रतिमा बना देती है|